बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र
18
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा
(Pre-Primary Education)
प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व
(Meaning and Importance of Pre-Primary Education)
पूर्व-प्राथमिक शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - पूर्व तथा प्राथमिक। अतः पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (Pre-Primary Education) का शाब्दिक अभिप्राय प्राथमिक शिक्षा से पूर्व अर्थात् पहले की शिक्षा से है। दूसरे शब्दों में बालक प्राथमिक स्कूल की शिक्षा में प्रवेश से पूर्व जो भी शिक्षा प्राप्त करता है उसे पूर्व- प्राथमिक शिक्षा कहते हैं। वास्तव में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा माता के गर्भधारण के साथ प्रारम्भ हो जाती है तथा बालक की आयु 5 या 6 वर्ष होने तक चलती है। इसे दो भागों, जन्मपूर्व शिक्षा तथा जन्मोत्तर शिक्षा में बाँटा जा सकता है। जन्मपूर्व शिक्षा के अन्तर्गत माता के गर्भ में भोजन, मनोस्थिति आदि पर ध्यान दिया जाता है जिससे गर्भ में स्थित बालक का शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक विकास ठीक ढंग से हो सके। जन्मोत्तर पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के अन्तर्गत घर, परिवार व पड़ोस तथा पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में अर्जित ज्ञान आता है।
प्राचीन काल में परिवार ही बालक की पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का केन्द्र हुआ करते थे। माता-पिता परिवार के अन्य सदस्य तथा इष्टमित्र, सम्बन्धी व पड़ोसी आदि व्यक्ति ही बालक के अध्यापक माने जाते थे। ये सभी अच्छे कार्यों को प्रेरणा देकर बालक को सदाचार का पाठ पढ़ाते थे, उसके भाषा- कौशल तथा गणित ज्ञान को बढ़ाते थे। उस समय पूर्व-प्राथमिक शिक्षा कोई औपचारिक शिक्षा न होकर सामाजिक आदान-प्रदान तथा अभिव्यक्ति को विकसित करने की प्रक्रिया मानी जाती थी। परन्तु बाद में घरेलू व्यावसायिक क्रियाकलापों में व्यस्तता के कारण माता-पिता के लिये यह असम्भव सा प्रतीत होने लगा कि वे अपने बच्चों को स्वयं ही पूर्व-प्राथमिक शिक्षा दे सकें। इस स्थिति में शिशुओं की देखभाल तथा उनके व्यवहार शोधन के लिए पूर्व-प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए औपचारिक शिक्षा संस्थाओं की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। वर्तमान युग में इस आवश्यकता में वृद्धि उस समय महसूस की गई जब माताओं ने भी व्यावसायिक क्षेत्रों में प्रवेश किया तथा अशिक्षित अभिभावकों में भी अपने बच्चों की पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न हुई। इन सभी परिस्थितियों ने यह आवश्यक कर दिया कि सर्वाधिक पूर्व- प्राथमिक स्कूल खोले जायें तथा इस प्रकार से पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए औपचारिक संस्थाओं का प्रारम्भ हुआ। इस प्रकार की शिक्षा संस्थाओं में सामान्यतः 2-3 वर्ष से लेकर 5-6 वर्ष तक के शिशुओं को शिक्षा प्रदान की जाती है। अतः पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को इस आधार पर भी दो भागों में बाँटा जा सकता है। प्रथम, घर पर दी जाने वाली पूर्व-प्राथमिक शिक्षा जो माता द्वारा गर्भधारण से लेकर बालक के 2-3 वर्ष तक के होने तक चलती है। द्वितीय, पूर्व-प्राथमिक स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा जो प्रायः बालक के 2-3 वर्ष के होने से 5-6 वर्ष के होने तक चलती है।
फ्रोबेल को आधुनिक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का जन्मदाता कहा जाता है। इन्होंने सन् 1837 में जर्मनी के ब्लेकन्बर्ग नामक शहर में सबसे पहले पूर्व-प्राथमिक स्कूल की स्थापना की थी। मारग्रेट मैकमिलन तथा रचेल मैकमिलन नाम की दो बहनों तथा मारिया मॉन्टेसरी व आर्नोल्ड गसेल ने भी पूर्व प्राथमिक शिक्षा के प्रसार में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान दिया। आधुनिक युग में भारत में औपचारिक रूप से पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को प्रारम्भ करने का श्रेय भी ईसाई मिशनरियों को दिया जाता है।
कोठारी आयोग ने पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के विस्तार के लिए प्रत्येक राज्य में एक-एक विकास केन्द्र खोलने तथा जिला स्तर पर पूर्व-प्राथमिक शिक्षा केन्द्र खोलने का सुझाव दिया। आयोग ने व्यक्तिगत प्रबन्ध समिति के द्वारा चलायी जा रही पूर्व-प्राथमिक शिक्षा संस्थाओं को अनुदान देकर प्रोत्साहित करने, पूर्व- प्राथमिक अध्यापकों के प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था करने, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए आवश्यक साहित्य को तैयार करने तथा पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करने का सुझाव दिया। कोठारी आयोग ने पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न अभिकरणों में समन्वय स्थापित करने तथा पाठ्यक्रम को लचीला बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। कोठारी आयोग की इन संस्तुतियों के बावजूद भी सन् 1968 में घोषित प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के सम्बन्ध में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया गया जिनके कारण कोठारी आयोग की संस्तुतियों के बावजूद भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की स्थिति दयनीय बनी रहीं। 1979 मंर जनता सरकार द्वारा तैयार किये गये शिक्षा नीति मसौदे में भी पूर्व-प्राथमिक शिक्षा उपेक्षणीय ही बनी रही। सन 1986 में घोषित नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पूर्व-प्राथमिक को कम से कम सिद्धान्त रूप में अपना उचित स्थान मिला। इस नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खण्ड 5 के अनुच्छेद 1, 2, 3 व 4 में पूर्व बाल्यकाल परिचय तथा शिक्षा को विशेष महत्व देने तथा बालकों के पोषण, स्वास्थ्य तथा सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, नैतिक व संवेगात्मक विकास के लिये पूर्व बाल्यकाल परिचर्या व शिक्षा को यथासम्भव एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रमों से जोड़ा जायेगा। पूर्व-बाल्यकाल परिचर्या तथा शिक्षा के कार्यकम बाल केन्द्रित होंगे तथा इनमें खेलकूद व बालक की व्यक्तिगतता को ध्यान में रखा जायेगा। शिक्षण की औपचारिक विधियों तथा लिखने, पढने व गणित के ज्ञान को औपचारिक ढंग से सिखाने को इस स्तर पर हतोत्साहित करने की बात भी नवीन राष्ट्रीय नीति में कही गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पूर्व बाल्यकाल परिचर्या तथा शिक्षा को अत्यन्त महत्व दिये जाने के कारण कार्यान्वयन कार्यक्रम में इस प्रकारण पर जोर दिया गया है। इसे मौन संसाधन विकास की व्यू रचना के प्रमुख अदा, प्राथमिक शिक्षा के पोषक व सहायक कार्यक्रम तथा समाज के सुविधाहीन वर्गों की कार्यरत महिलाओं के लिए सहायक सेवा के रूप में देखा जा सकता है। पूर्व बाल्यकाल, परिचर्या तथा शिक्षा में बालक का सम्पूर्ण विकास शारीरिक, गामक, बौद्धिक, भाषायी, संवेगात्मक, सामाजिक तथा नैतिक-समाहित रहता है। इसकी आयु अवधि गर्भाधान से लेकर लगभग छः वर्ष तक रहती है। इस अवधि की विकास प्रक्रिया में गर्भावस्था के दौरान माता की देखभाल, सुरक्षित प्रसव, स्तनपान की अवधि में माता का आहार, सही स्तनपान, टीकाकरण, बाल परिचर्या से सम्बन्धित माता की शिक्षा आदि बातें सम्मिलित रहती हैं जिसके लिए एकीकृत तथा समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। इस दिशा में कार्यान्वयन कार्यक्रम में निम्न बातें कही गई हैं -
1. एकीकृत बाल विकास सेवा के पूर्व विद्यालय शिक्षा पक्ष को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
2. पूर्व बाल्यावस्था शिक्षा योजना में स्वास्थ्य व पोषण पक्षों को जोड़ा जायेगा, कर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा तथा बच्चों को शैक्षिक सामग्री दी जायेगी।
3. स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से चलाये जा रहे बाल विकास के सभी कार्यक्रमों में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जायेगा।
4. राज्य सरकारों तथा नगरपालिकाओं के द्वारा संचालित किए जाने वाले पूर्व प्राथमिक स्कूलों में स्वास्थ्य व पोषण के पक्षों को जोड़ा जायेगा तथा लिखना पढ़ना व गणित सिखाने की प्रक्रिया को बहुत जल्दी शुरू करने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जायेगा।
5. क्रैश तथा दिवस परिचर्या केन्द्र योजना की समीक्षा करने तथा इसके सुदृढ़ीकरण की तत्काल आवश्यकता है।
6. सातवीं तथा आठवीं योजना में कम लागत के निर्देश विकसित करने के लिए किये जाने वाले प्रयोगों पर जोर दिया जायेगा।
7. पूर्व बाल्यावस्था परिचर्या एवं शिक्षा कार्यक्रम के सभी प्रारूपों में प्रशिक्षण पक्ष को सुदृढ़ किया जायेगा।
8. मॉनिटरिंग तथा मूल्याँकन प्रणाली को प्रबन्ध सूचना प्रणाली एवं वृत्तिक संस्थाओं के सहयोग से सुदृढ़ किया जायेगा।
इन सभी प्रयासों के बावजूद भी भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की प्रगति अत्यन्त धीमी व असन्तोषजनक ही रही है। यद्यपि शहरी क्षेत्रों में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा कुछ सीमा तक लोकप्रिय हुई है तथा अभिभावकों ने पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के प्रति अपनी माँग सम्मुख रखी है, परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पूर्व- प्राथमिक शिक्षा पूर्णतः उपेक्षित है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य दोष क्या थे?
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ज्ञान के अर्थ तथा उसकी अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और शिक्षण के सम्प्रत्यय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- व्यापक शिक्षा तथा संकुचित शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- "सा विद्या या विमुक्तये' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समरूप एवं प्रगतिशील विकास है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वागीण और सर्वोच्च विकास से है।' शिक्षा की इस परिभाषा से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- जॉन डी वी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- उद्देश्य निर्धारित हो जाने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतंत्रीय भारत के लिए शिक्षा के सर्वाधिक उद्देश्य कौन से हैं?
- प्रश्न- शारीरिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नैतिक एवं चारित्रिक विकास के उद्देश्य को समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शासनतन्त्र एवं नागरिकता की शिक्षा के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आध्यात्मिक चेतना के विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक दूसरे के पूरक हैं।' इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी शिक्षाशास्त्रियों के विचार को बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करना सम्भव है? यदि हाँ, तो कैसे?
- प्रश्न- भारतीय जनतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्यों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यावसायीकरण से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा का स्वरूप क्या है? व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के विविध उद्देश्यों का एक उद्देश्य में संश्लेषण किया जाना चाहिए? यदि हाँ तो वह उद्देश्य क्या होना चाहिए और क्यों?
- प्रश्न- उद्देश्य और लक्ष्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निरौपचारिक शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक-दूसरे के पूरक हैं।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-सा है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के वैक्तिक उद्देश्य से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के क्या कार्य होने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- “शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है।' इस कथन की व्याख्या करते हुए इसके कार्य, आवश्यकता एवं महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक जीवन में शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य है?
- प्रश्न- मानव जीवन में शिक्षा के कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के प्रति शिक्षा के दो कार्यों को बताइए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना (पिछड़) को समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा व संस्कृति में सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के आधुनिक स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बधित है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण क्या है? कौशल अधिग्रहण के तीन चरणों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के लिए संज्ञानात्मक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य शब्द का अर्थ बताइए। मानव जीवन में मूल्यों का क्या स्थान है?
- प्रश्न- बालक में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार अथवा विद्यालय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार का क्या महत्व है?
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में विद्यालय का क्या महत्व है?
- प्रश्न- मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए और उसके मार्गदर्शक सिद्धान्तों तथा उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक शिक्षा एवं सांस्कृतिक मूल्यों के विकास के अभिकरण बताइए।
- प्रश्न- मूल्य कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- मूल्यपूरक शिक्षा की आवश्यकता समझाइए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शैक्षिक मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक तथ्य क्या है? इसी के साथ ही सामाजिक एकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक एकता का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- यान्त्रिक और सावयवी एकता में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- अवकाश क्या है? अवकाश शिक्षा के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अवकाश शिक्षा का क्या अर्थ है? दो प्रकार के अवकाश के बारे में बताइए।
- प्रश्न- अवकाश की अवधारणा को समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है? राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए इस सम्बन्ध में गोष्ठियों एवं समितियों के विचारों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए। शिक्षा राष्ट्रीय एकता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा राष्ट्रीयता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण एकता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं? शिक्षा राष्ट्रीय एकीकरण के विकास में किस प्रकार योगदान दे सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए किए गए सरकारी प्रयासों को बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के उपायों को सुझाइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता क्या है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय बोध का विकास करने के उपाय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के लिए क्या-क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आप अन्तर्राष्ट्रीयता से क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के गुण-दोष पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता अवबोध के विकास में यूनेस्को की भूमिका पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संकीर्ण राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधन से आप क्या समझते हैं? मानवीय संसाधन का शिक्षा में महत्व बताइये।
- प्रश्न- मानवीय साधन कितने प्रकार के होते हैं तथा इसकी आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा द्वारा मानव संसाधनों के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का परिभाषाओं सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का क्या अर्थ है? इसके लिए किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधनों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मानव पूँजी के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन की प्रमुख सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्पादन क्रिया के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- औपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा के अन्य अनौपचारिक साधनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सक्रिय व निष्क्रिय साधन लिखिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों में कौन अधिक महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता, न्याय, समता एवं बन्धुत्व की संवैधानिक वचनबद्धता के संदर्भ में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है? मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए पूर्व प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के दोषों को बताइए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी शिक्षा पद्धति के गुण-दोषों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी पद्धति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी प्रणाली के दोष बताइए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति की सीमाओं या दोष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विकास बताइए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य एवं कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की वर्तमान स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का नियोजन एवं संगठन कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- माण्टेसरी तथा किण्डरगार्टन पद्धति की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधारभूत तत्व क्या हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- नई शिक्षा नीति - 2020 में स्कूली शिक्षा से सम्बन्धित बिन्दुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोषों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्राथमिक शिक्षा के विकास को समझाइये।
- प्रश्न- प्राचीन एवं मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा की समस्या बताइए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? उन्हें हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय व्यवस्था तथा वित्त व्यवस्था से सम्बन्धित प्राथमिक शिक्षा की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है? विस्तारपूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित दृष्टिकोण के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समेकित अभिगमन की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के संगठन एवं स्वरूप की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के लक्ष्य निर्धारण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता के प्रयासों पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के लिए संवैधानिक व्यवस्था क्या है?
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा आयोग (1965-66) ने किन सुझावों को अपनाने पर बल दिया?
- प्रश्न- अध्यापक-निर्देशिकाओं तथा शिक्षण सामग्री के महत्त्व से आप क्या समझते हैं? इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग के सुझाव बताइये।
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से क्या तात्पर्य है? विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता की क्या समस्यायें हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता पर राधा कृष्णन के विचार लिखिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं? इनके कार्यों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में आने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में वित्तीय समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में उद्देश्यहीनता तथा दोषपूर्ण पाठ्यक्रम पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा की प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु उपाय बताइए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय के कार्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा का प्रसार सीमित साधनों से अधिक हो रहा है। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में बेरोजगारी प्रमुख समस्या है। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के उद्देश्य भारत के सन्दर्भ में क्या होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कितने प्रकार के विश्वविद्यालय हैं?
- प्रश्न- भारत में विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र शासित विश्वविद्यालय क्या हैं? उनके नाम लिखिए।
- प्रश्न- 'खुला विश्वविद्यालय' क्या है ?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय व राज्यीय विश्वविद्यालयों को उनके संगठन के अनुसार कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- मानव विकास संसाधन मंत्रालय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संगठन का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के पाठ्यक्रम प्रारूप की व्यावहारिक उपादेयता का विस्तार से चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार हेतु राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के कार्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद के संगठन का वर्णन करते हुए उसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- N.C.E.R.T से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व व कार्यों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान पर टिपणी लिखिये।
- प्रश्न- AICTE की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- IQAC की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- एन. आई. ओ. एस. क्या है?
- प्रश्न- राज्य शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद के उद्देश्यों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन तथा कार्यों को बताते हुए इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थायें हैं।' इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- डिग्री कॉलेजों के विकास में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गठन का क्या उद्देश्य था?
- प्रश्न- शिक्षा बोर्ड के बारे में विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या आई.बी. बोर्ड आई.सी.एस.ई. से बेहतर हैं?
- प्रश्न- केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- सी. बी. एस. ई. बोर्ड की ग्रेडिंग प्रणाली के विषय पर टिप्पणी दीजिए।